माहवारी को न मानो परेशानी, ये नारी शक्ति की है निशानी
आजमगढ़ (अतरौलिया)
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समुदाय के लोग |
ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा संचालित ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत अतरौलिया ब्लॉक की 10 ग्राम पंचायतों में 16 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी अभियान के अंतर्गत नारी संघ की महिलाओं व किशोरियों के साथ बैठक व रैली के द्वारा माहवारी स्वच्छता, लैंगिक भेदभाव व महिला हिंसा की गांव में स्थिति और उसे रोकने में नारी संघ की भूमिका पर चर्चा की गई, प्रतिभागियों को बताया गया कि मासिक धर्म के दौरान लड़कियों, महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियाँ बुनियादी सेवाओं की आपूर्ति या बुनियादी ढाँचे की कमी से कहीं ज़्यादा हैं। जबकि मासिक धर्म ज़्यादातर महिलाओं और लड़कियों के लिए जीवन का एक सामान्य और स्वस्थ हिस्सा है, कई समाजों में महिलाओं के मासिक धर्म के समय होने वाले अनुभव सांस्कृतिक वर्जनाओं और भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंडों से प्रभावित है। मासिक धर्म के बारे में जानकारी की कमी के कारण अस्वच्छ और अस्वस्थ मासिक धर्म संबंधी प्रथाएँ होती हैं और गलत धारणाएँ और नकारात्मक दृष्टिकोण पैदा होते हैं, जो शर्मिंदगी यहाँ तक कि लिंग आधारित हिंसा को भी प्रेरित करते हैं। लड़कियों और महिलाओं की पीढ़ियों के लिए, खराब मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को बढ़ा रही है, जो उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और मानव विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है। परियोजना समन्वयक ज्योति द्वारा बताया गया कि जब तक हमारे समाज से माहवारी पर खुल कर चर्चा नहीं होगी और इसकी महत्ता और उपयोगिता के बारे में वैज्ञानिक रूप से समाज को जागरूक नहीं किया जायेगा तब तक इस पर बने सामाजिक भेदभाव होते रहेंगे | तथा बताया गया की माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को लेकर समुदाय में माहवारी के दौरान स्वच्छ सूती कपड़े का प्रयोग करे। पैड का प्रयोग करे ताकि इन्फेक्शन व बीमारी से बचे परेशानी होने पर चिकित्सक से परामर्श ले। किशोरी बालिकाओं में मासिक-धर्म के दौरान साफ-सफाई व प्रबंधन करने, व्यक्तिगत स्वच्छता व सुरक्षित साधनों के बारे में जागरूकता पैदा करने, इन्हें लगातार व्यवहार में लाने, इस विषय पर उनकी चिंताओं व समस्याओं के उचित हल के लिए उन्हें प्रेरित करना आवश्यक है।
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